Income Tax RentalIncome: अगर आप मकान किराए पर देकर कुछ अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि इस आमदनी पर आपको आयकर के नियमों के तहत कितना टैक्स देना होगा। अक्सर लोग इस बात को लेकर काफी परेशानी का सामना करते हैं और गलत जानकारी के चलते उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस तक मिल जाता है। यह आर्टिकल आपके लिए एक पूरी गाइड की तरह है, जहाँ हम आपको मकान किराए से होने वाली कमाई पर टैक्स से जुड़े हर पहलू को बेहद आसान भाषा में समझाएंगे।
इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि यहां हम आपको सिर्फ सैद्धांतिक जानकारी नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल उदाहरणों के साथ बताएंगे कि किराए की आमदनी को आप अपनी टैक्स रिपोर्ट में कैसे दिखा सकते हैं, किन-किन खर्चों को आप कटौती के तौर पर क्लेम कर सकते हैं और कैसे कानूनी तरीके से अपने टैक्स की बचत कर सकते हैं। हमारा मकसद है कि आप पूरी तरह से कॉन्फिडेंट होकर अपना टैक्स रिटर्न भर सकें।
मकान किराए की आमदनी पर टैक्स कैसे कैलकुलेट होता है?
आपको बता दें कि मकान किराए से होने वाली आमदनी को ‘हाउस प्रॉपर्टी इनकम’ के तहत टैक्स में जोड़ा जाता है। यह आमदनी आपकी कुल सालाना आमदनी का हिस्सा बनती है और फिर उसी स्लैब रेट के हिसाब से उस पर टैक्स लगता है, जिस रेट पर आपकी बाकी की आमदनी पर टैक्स लग रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर लोग यही गलती करते हैं कि वे किराए की आमदनी को अलग से देखते हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
किराए की आमदनी में से मिलने वाली मुख्य कटौतियां
अच्छी बात यह है कि आपके किराए के पूरे पैसे पर टैक्स नहीं लगता। आप कुछ खास तरह के खर्चों को घटा सकते हैं। इनमें से मुख्य हैं:
- म्युनिसिपल टैक्स: अगर आप प्रॉपर्टी का म्युनिसिपल टैक्स भरते हैं, तो उस पूरी रकम को आप किराए की आमदनी में से घटा सकते हैं।
- मानक कटौती (Standard Deduction): आपकी जानकारी के लिए बता दें, किराए की कुल आमदनी में से 30% की एक फिक्स्ड कटौती मिलती है। यह कटौती मरम्मत और रखरखाव के खर्च के लिए दी जाती है, भले ही आपने वास्तव में वह खर्च किया हो या नहीं।
- होम लोन ब्याज: अगर प्रॉपर्टी होम लोन लेकर खरीदी गई है, तो आप होम लोन पर चुकाए गए ब्याज के पूरे हिस्से को भी आमदनी में से घटा सकते हैं।
टैक्स कैलकुलेशन को एक उदाहरण से समझिए
मान लीजिए, आपको एक साल में मकान किराए के तौर पर 3,00,000 रुपये मिलते हैं। अब इसमें से आप म्युनिसिपल टैक्स के 20,000 रुपये और होम लोन ब्याज के 1,00,000 रुपये घटा सकते हैं। इसके बाद बची हुई रकम पर 30% की स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलेगी।
- कुल किराया आमदनी: 3,00,000 रुपये
- घटाया गया म्युनिसिपल टैक्स: – 20,000 रुपये
- घटाया गया होम लोन ब्याज: – 1,00,000 रुपये
- शेष रकम: 1,80,000 रुपये
- इस पर 30% की स्टैंडर्ड डिडक्शन (1,80,000 का 30% = 54,000 रुपये)
- कुल टैक्स लगने वाली आमदनी: 1,80,000 – 54,000 = 1,26,000 रुपये
अब, इस 1,26,000 रुपये को आपकी बाकी की सालाना आमदनी में जोड़ दिया जाएगा और फिर पूरी रकम पर टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स की गणना होगी।
नगर पालिका टैक्स और सोसायटी मेंटेनेंस चार्ज
आमतौर पर एक सवाल यह भी उठता है कि क्या सोसायटी का मेंटेनेंस चार्ज भी कटौती में शामिल किया जा सकता है? आपको बता दें, सोसायटी का मेंटेनेंस चार्ज सीधे तौर पर कटौती के तौर पर नहीं घटाया जा सकता। हालाँकि, अगर यह चार्ज आपने किराएदार से अलग से नहीं, बल्कि किराए के साथ ही लिया है और फिर आपने उसे सोसायटी को दिया है, तो इसे एक खर्च के रूप में देखा जा सकता है।
टैक्स रिटर्न भरते समय किन बातों का रखें ध्यान?
अपना आयकर रिटर्न भरते वक्त House Property Income के सेक्शन में सारी जानकारी सही से भरना बहुत जरूरी है।
- किराए की कुल सालाना आमदनी को सही से दर्ज करें।
- म्युनिसिपल टैक्स और होम लोन ब्याज जैसे दावों के लिए सभी रसीदों को सुरक्षित रखें।
- अगर एक से ज्यादा प्रॉपर्टी हैं, तो हर एक का अलग-अलग हिसाब रखें।
सूत्रों के मुताबिक, छोटी-छोटी गलतियों की वजह से लोगों का केस नोटिस के लिए चुन लिया जाता है, इसलिए सावधानी बरतें।
किराएदार न होने की स्थिति में क्या होगा?
अगर आपके मकान में कोई किराएदार नहीं है और वह खाली पड़ा है, तो भी आपको उस पर ‘नॉटियनल लाभ’ के तौर पर टैक्स देना होगा। हालाँकि, अगर पूरा साल मकान खाली रहता है, तो इसकी टैक्स में कोई गिनती नहीं होती। लेकिन अगर आपके पास एक से ज्यादा घर हैं और एक में आप खुद रह रहे हैं, तो दूसरे घर से आपको नॉटियनल इनकम दिखानी पड़ सकती है।
मकान किराए से होने वाली आमदनी पर टैक्स की बारीकियों को समझना थोड़ा पेचीदा जरूर है, लेकिन अगर आप ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखेंगे और सही तरीके से अपने खर्चों का हिसाब रखेंगे, तो आप बिना किसी डर के कानूनी तौर पर टैक्स में बचत कर पाएंगे। अगर फिर भ