High Value Purchase: अगर आप 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक नया टैक्स नियम जानना बेहद जरूरी है। सरकार ने हाई वैल्यू प्रॉपर्टी खरीदारों के लिए नए दस्तावेज़ जमा करने का नियम बनाया है, जिससे आपकी आमदनी और टैक्स पेमेंट की जांच की जा सके। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि यह नया नियम क्या है, इसे कैसे भरना है और इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें। अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने वाले हैं या इससे जुड़ी जानकारी चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
1 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीदने पर नया टैक्स डॉक्यूमेंट क्यों जरूरी है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में इनकम टैक्स एक्ट में एक नया सेक्शन जोड़ा है, जिसके तहत 1 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोगों को एक विशेष दस्तावेज़ जमा करना होगा। इसका मकसद ब्लैक मनी और टैक्स चोरी को रोकना है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस नियम से सरकार को बड़े लेनदेन पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
क्या है यह नया डॉक्यूमेंट?
इस नए दस्तावेज़ को फॉर्म 61 कहा जाता है, जिसे प्रॉपर्टी खरीदार को भरना होता है। इसमें निम्नलिखित जानकारी देनी होती है:
- खरीदार का नाम, पता और पैन कार्ड नंबर
- प्रॉपर्टी की कीमत और लोकेशन
- खरीदार की आमदनी का स्रोत
- पिछले 3 साल के टैक्स रिटर्न की जानकारी
इस नियम का पालन न करने पर क्या होगा?
अगर आप इस डॉक्यूमेंट को जमा नहीं करते हैं या गलत जानकारी देते हैं, तो आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, जुर्माने की रकम प्रॉपर्टी की कीमत का 10% तक हो सकती है। इसके अलावा, आयकर विभाग आपके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है।
नया टैक्स डॉक्यूमेंट भरने का सही तरीका
अगर आप 1 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, तो आपको फॉर्म 61 को सही तरीके से भरना होगा। आइए जानते हैं कि इसे कैसे भरें:
स्टेप 1: फॉर्म डाउनलोड करें
सबसे पहले आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ऑफिशियल वेबसाइट से फॉर्म 61 डाउनलोड करना होगा। यह फॉर्म पीडीएफ फॉर्मेट में उपलब्ध होता है।
स्टेप 2: जरूरी जानकारी भरें
फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारी को ध्यान से भरें। खासकर आमदनी और टैक्स पेमेंट से जुड़े सेक्शन को सावधानी से भरें।
स्टेप 3: डॉक्यूमेंट अटैच करें
फॉर्म के साथ आपको निम्नलिखित दस्तावेज़ लगाने होंगे:
- पैन कार्ड की कॉपी
- पिछले 3 साल के टैक्स रिटर्न की कॉपी
- प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज़
इस नए नियम से खरीदारों को क्या फ़ायदा होगा?
हालांकि यह नियम पहली नजर में परेशानी वाला लग सकता है, लेकिन इसके कई अच्छे फायदे भी हैं:
- ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी: इससे प्रॉपर्टी मार्केट में पारदर्शिता आएगी और ब्लैक मनी का इस्तेमाल कम होगा।
- कानूनी सुरक्षा: सही जानकारी देने से आप किसी भी कानूनी परेशानी से बच जाएंगे।
- भविष्य में लोन लेने में आसानी: अगर आप भविष्य में प्रॉपर्टी पर लोन लेना चाहते हैं, तो यह डॉक्यूमेंट आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
नए नियम से जुड़े कुछ जरूरी सवाल और जवाब
क्या यह नियम सभी प्रॉपर्टी खरीदारों पर लागू होता है?
नहीं, यह नियम सिर्फ उन खरीदारों पर लागू होता है जो 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं। अगर प्रॉपर्टी की कीमत इससे कम है, तो आपको यह डॉक्यूमेंट भरने की जरूरत नहीं है।
क्या यह नियम कमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनों प्रॉपर्टी पर लागू होता है?
हां, यह नियम कमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनों तरह की प्रॉपर्टी पर लागू होता है, बशर्ते उनकी कीमत 1 करोड़ रुपये से अधिक हो।
फॉर्म 61 कहां जमा करना होगा?
इस फॉर्म को आपको अपने जिले के इनकम टैक्स ऑफिस में जमा करना होगा। कुछ राज्यों में इसे ऑनलाइन भी जमा किया जा सकता है।
अगर आप हाई वैल्यू प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। नए नियमों का पालन करके आप न सिर्फ कानूनी रूप से सुरक्षित रहेंगे, बल्कि भविष्य में होने वाली किसी भी परेशानी से भी बच जाएंगे।