LandRegistry Cost: अगर आपने हाल ही में कोई प्रॉपर्टी खरीदी है या फिर खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी खबर है। देश के कई राज्यों में प्रॉपर्टी रजिस्ट्री की फीस में बढ़ोतरी की जा चुकी है, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ने वाला है। अब आपको जमीन या मकान का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार ने यह कदम क्यों उठाया? इस बढ़ोतरी के पीछे की वजह क्या है और इसका आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें, क्योंकि यहां हम आपको रजिस्ट्री फीस बढ़ने के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे। हम समझेंगे कि यह फीस बढ़ी कैसे है, किन-किन राज्यों में इस पर फैसला लिया गया है, और सबसे जरूरी बात, इससे आपको कितनी ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि इसके पीछे सरकार का क्या नजरिया है। इसलिए, अगर आप प्रॉपर्टी से जुड़े हैं या भविष्य में कोई प्लानिंग कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए, शुरू करते हैं।
रजिस्ट्री फीस बढ़ोतरी: एक विस्तृत जानकारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें, जमीन या मकान जैसी संपत्ति की खरीद-फरोख्त एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें रजिस्ट्रेशन सबसे जरूरी चरण होता है। रजिस्ट्री का मतलब है कि उस संपत्ति के मालिकाना हक को आपके नाम कर दिया जाए। इस पूरी प्रक्रिया के लिए सरकार को एक certain फीस देनी पड़ती है, जिसे स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस कहा जाता है। अब देश के कई राज्यों ने इसी फीस की दरों में revision किया है, जिसके चलते अब नए सौदों में ज्यादा पैसा देना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बदलाव का मकसद सरकार के revenue को बढ़ाना और प्रॉपर्टी मार्केट में पारदर्शिता लाना बताया जा रहा है।
किन राज्यों में हुई है फीस में बढ़ोतरी?
यह बदलाव सभी राज्यों में एक साथ लागू नहीं हुआ है। प्रॉपर्टी का registration एक state subject है, यानी हर राज्य सरकार अपने हिसाब से इसकी फीस तय करती है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों ने अपने यहां की स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के rates में बदलाव किए हैं। कहीं-कहीं तो यह बढ़ोतरी काफी ज्यादा है, जिससे property खरीदने वालों पर extra financial burden पड़ रहा है। हर राज्य के नियम अलग-अलग हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि आपके राज्य में क्या rules हैं।
रजिस्ट्री फीस बढ़ने के पीछे की वजह
सरकार के इस फैसले के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। आइए, उन पर एक नजर डालते हैं:
- रेवेन्यू जनरेशन: सरकार के पास development projects चलाने के लिए fund की जरूरत होती है। property registration से मिलने वाला revenue इसका एक बड़ा स्रोत है। फीस बढ़ाने से सरकार की income में इजाफा होगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट: इस increased revenue को सड़कों, hospitals, schools जैसी सुविधाओं के निर्माण और रखरखाव पर खर्च किया जा सकता है।
- मार्केट को रेगुलेट करना: कई experts का मानना है कि इस कदम से property के दामों में हो रही artificial growth पर control लगाने में मदद मिल सकती है।
- क्लीयरेंस में आसानी: सरकार का दावा है कि इससे registration process और ज्यादा smooth और efficient होगा।
आम लोगों पर क्या पड़ेगा असर?
इस बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर middle class और छोटे वर्ग के लोगों पर पड़ने वाला है। property खरीदना पहले से ही एक बड़ा financial decision होता है, और अब registration की extra cost उनकी परेशानी को और बढ़ा सकती है। होम लोन लेने वालों के EMI पर भी इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि overall cost बढ़ जाने से loan amount भी ज्यादा होगा। इसके अलावा, real estate market पर भी इसका negative effect देखने को मिल सकता है, क्योंकि buyers अब deal करने से पहले दो बार सोचेंगे।
अब आपको कितना ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है?
यह पूरी तरह से आपकी प्रॉपर्टी की market value और आपके राज्य के नियमों पर निर्भर करता है। आमतौर पर, registration fee संपत्ति की कीमत के एक certain percentage के हिसाब से तय होती है। मान लीजिए अगर किसी राज्य में registration fee 1% से बढ़ाकर 1.5% कर दी गई है और आपकी प्रॉपर्टी की value 50 लाख रुपये है, तो पहले आपको 50,000 रुपये देने होते थे, लेकिन अब आपको 75,000 रुपये देने होंगे। यानी आपको 25,000 रुपये का extra खर्च उठाना पड़ेगा।
क्या है भविष्य की संभावना?
सूत्रों के मुताबिक, भविष्य में और भी राज्य इसी तरह के कदम उठा सकते हैं। ऐसे में, property खरीदने का planning कर रहे लोगों के लिए यह सलाह दी जाती है कि वे जल्द से जल्द अपना deal पूरा कर लें, ताकि उन्हें current rates पर ही registration करवाने का फायदा मिल सके। साथ ही, किसी भी तरह का agreement करने से पहले अपने राज्य के latest rules की जानकारी जरूर हासिल कर लें।
रजिस्ट्री फीस में हुई यह बढ़ोतरी निश्चित तौर पर property खरीदारों के लिए एक extra financial burden लेकर आई है। हालांकि, सरकार का मानना है कि इससे मिलने वाला revenue देश के development में इस्तेमाल होगा, जिसका long-term फायदा आम जनता को ही मिलेगा। फिलहाल, इस situation में सबसे जरूरी है खुद को update रखना और सही समय पर सही फैसला लेना। अगर आप property market में नए हैं, तो किसी legal expert की सलाह लेना एक smart move हो सकता है।